गृह विज्ञान का इतिहास Part-2 | Grih Vigyan Ka Itihas Part-2
प्रिय पाठकों इस लेख में गृह विज्ञान का इतिहास क्या है? गृह विज्ञान की उत्पत्ति कहाँ और कैसे हुई, गृह विज्ञान का उद्भव एवं विकास, होम साइंस (गृह विज्ञान) के जनक या जन्मदाता कौन है? भारत में गृह विज्ञान का विकास कैसे हुआ, गृह विज्ञान की विषय के रूप में शुरुआत कौन से सन् में हुई थी, आदि अनेकों रोचक एवं महत्वपूर्ण प्रश्नों के उत्तर के बारे में जानने के लिए इस लेख को पूरा जरूर पढ़ें।
प्रश्न: भारत में महिलाओं के सर्वांगीण विकास के लिए गृह विज्ञान शिक्षा की आवश्यकता एवं इसे पाठ्यक्रम में सम्मिलित करने पर किन लोगों ने जोर दिया।
उत्तर: अखिल भारतीय अधिवेशन की सदस्याएं जिनमें प्रमुख नाम है- राजकुमारी अमृत कौर, फरदून जी, रुस्तम जी, सरोजिनी नायडू, जेम्स कजिंस, रानी लक्ष्मीबाई रजवाड़े, मुत्थुलक्ष्मी रेड्डी, श्रीमती हन्सा बेन आदि ने महिलाओं के सर्वांगीण विकास के लिए गृह विज्ञान शिक्षा की आवश्यकता को महसूस किया तथा इसे पाठ्यक्रम में सम्मिलित करने पर जोर दिया।
प्रश्न: प्रारम्भ से महाराष्ट्र में गृह विज्ञान की शिक्षा कहां-कहां दी जा रही है?
उत्तर: महाराष्ट्र में “बम्बई विश्वविद्यालय”, “लेडी अमृतबाई महिला महाविद्यालय, नागपुर”, “मराठवाड़ा कृषि विश्वविद्यालय”, “नागपुर विश्वविद्यालय” में गृह विज्ञान की शिक्षा दी जा रही है। यहां B.Sc. Home Science तथा M.Sc. Home Science की डिग्री दी जाती है। मराठवाड़ा विश्वविद्यालय से संबद्ध महाविद्यालयों में भी गृह विज्ञान की पढ़ाई कराई जाती है। सबसे पहले महाराष्ट्र में सन् 1957 में स्नातक गृह विज्ञान की पढ़ाई कराई जाती है। इसके 10 वर्ष बाद सन् 1967 से स्नातकोत्तर स्तर पर यह विषय पढ़ाया जाने लगा। S.N.D.T. महिला महाविद्यालय बम्बई में B.Sc. Home Science तथा M.Sc. Home Science की पढ़ाई होती है। वर्तमान समय में इन महाविद्यालयों में Ph.D. तथा शोध कार्य भी किया जा रहे हैं।
प्रश्न: मद्रास में कॉलेज स्तर पर सबसे पहले गृह विज्ञान विषय का शिक्षण किसने और कहां आरंभ किया?
या
मद्रास में कॉलेज स्तर पर गृह विज्ञान विषय का शिक्षण कहां-कहां आरंभ किया गया?
उत्तर: मद्रास में कॉलेज स्तर पर सबसे पहले सन् 1942 में लेडी विलिंगडन प्रशिक्षण महाविद्यालय की प्राचार्य कुमारी ‘जे. एन. निरार्ड‘ ने क्वीन मेरी कॉलेज तथा महिला क्रिश्चियन कॉलेज में गृह विज्ञान का शिक्षण आरंभ किया। महिला क्रिश्चियन कॉलेज में सन् 1946 में गृह विज्ञान के अंतर्गत संस्थागत प्रबंध (Institutional Management) की पढ़ाई होने लगी। इसके बाद एस.आई.डी.टी. कॉलेज (1946) में गृह विज्ञान का शिक्षण शुरू हुआ, जिसमें छात्राओं को B.Sc. Home Science की डिग्री दी जाने लगी। कोम्बटूर में सन् 1957 में श्री अविनाशलिंगम महिला गृह विज्ञान महाविद्यालय की स्थापना हुई। जिसमें डॉ. राजामल देवदास के कुशल नेतृत्व में गृह विज्ञान विषय पढ़ाया जाने लगा।
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प्रश्न: मैसूर (Mysore) में गृह विज्ञान महाविद्यालयों की स्थापना कब हुई?
उत्तर: मैसूर (वर्तमान में ‘कर्नाटक’) में सन् 1959 तक चार गृह विज्ञान महाविद्यालयों की स्थापना हो गई थी। जहां स्नातक की डिग्री प्रदान की जाती थी। इसके बाद मैसूर में ही सन् 1960 से स्नातकोत्तर शिक्षा प्रारंभ हुई।
प्रश्न: गुजरात में महिला शिक्षा ट्रस्ट निधि की स्थापना का उद्देश्य क्या था?
उत्तर: महिला शिक्षा ट्रस्ट निधि की स्थापना का परम उद्देश्य था कि महिला शिक्षा को बढ़ावा मिले। स्त्री शिक्षा तथा गृह विज्ञान की स्थापना के लिए ट्रस्ट ने इस निधि (fund) को महाराजा सैयाजीराव विश्वविद्यालय के तत्कालीन कुलपति श्रीमती हंसाबेन मेहता तथा अन्य शिक्षाविदों के कुशल नेतृत्व में सन् 1958 में गृह विज्ञान संकाय (Faculty of Home Science) की स्थापना की गई। जहां छात्राओं को स्नातक की डिग्री दी जाने लगी। इसके बाद इस शिक्षा का बहुत विस्तार हुआ तथा स्नातकोत्तर एवं डॉक्टरेट की डिग्री दी जाने लगी।
प्रश्न: प्रारंभ में उत्तर प्रदेश में गृह विज्ञान की उच्च शिक्षा कहां-कहां प्रारंभ की गई?
उत्तर: उत्तर प्रदेश में वाराणसी (बनारस), आगरा तथा इलाहाबाद में गृह विज्ञान की उच्च शिक्षा दी जाती थी। सन् 1968 में, आगरा में Institution of Home Science आगरा विश्वविद्यालय आगरा में, स्थापित की गई जिसमें स्नातक तथा स्नातकोत्तर की शिक्षा दी जाती है।
प्रश्न: प्रारंभ से भारत में किन-किन महाविद्यालयों में विशुद्ध रूप से गृह विज्ञान की डिग्री प्रदान की जाती है?
उत्तर: प्रारंभ में भारत में कई ऐसे महाविद्यालयों की स्थापना हुई जो विशुद्ध रूप से गृह विज्ञान की डिग्री प्रदान करने लगे। इनमें- फैकल्टी ऑफ होम साइंस बड़ौदा (महाराज सैयाजीराव यूनिवर्सिटी), इंस्टीट्यूट ऑफ होम साइंस (मैसूर यूनिवर्सिटी), गवर्नमेंट होम साइंस कॉलेज, जबलपुर (1954, जबलपुर यूनिवर्सिटी, अब नया नाम रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय), क्वीन मेरीज़ कॉलेज (1942),विमेंस क्रिश्चियन कॉलेज (1946), एस.आई.डी.टी. कॉलेज, श्री अविनाशलिंगम होम साइंस कॉलेज, कोयंबटूर (सभी मद्रास यूनिवर्सिटी), बिहारीलाल कॉलेज ऑफ होम साइंस (कलकत्ता यूनिवर्सिटी), एस.एन.डी.टी. विमेंस यूनिवर्सिटी, बम्बई के नाम उल्लेखनीय है।
प्रश्न: अखिल भारतीय गृह विज्ञान संघ (Home Science Association of India, HSAI) की स्थापना कब हुई और इसका उद्देश्य या कार्य क्या है?
उत्तर: अखिल भारतीय गृह विज्ञान संघ (Home Science Association of India, HSAI) की स्थापना सन् 1952 में हुई। यह एसोसिएशन गृह विज्ञान के विकास में अग्रणी भूमिका निभा रहा है। इस संघ द्वारा 2 वर्ष में एक बार सम्मेलन होता है, जिसमें पूरे देश की गृह विज्ञानी उपस्थित होती हैं तथा अध्ययन-अध्यापन संबंधी समस्याओं, सुझावों पर चर्चा करती हैं। शोध कार्यों पर प्रकाश डालती हैं।
प्रश्न: गृह विज्ञान का विकास कैसे हुआ?
उत्तर: गृह विज्ञान विषय बहुत पुराना नहीं है। 19वीं सदी से पूर्व इस विषय को कोई नहीं जानता था और ना ही किसी के मस्तिष्क में यह विचार आया कि गृह विज्ञान विषय भी पढ़ाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण विषय हो सकता है। गृह विज्ञान विषय के विकास का मुख्य श्रेय ‘औद्योगिकरण सभ्यता‘ को जाता है। पाश्चात्य देशों, विशेषकर इंग्लैंड और अमेरिका में 19वीं शताब्दी में औद्योगिकरण के विकास के फलस्वरूप घरेलू कार्यों के लिए नौकर मिलना कठिन होने लगा तथा गृहिणियां इन कार्यों को संपन्न करने में कठिनाई का अनुभव करने लगी। गृहिणियों की असुविधाओं को देखते हुए वैज्ञानिकों ने ऐसी नई विधियों तथा उपकरणों की खोज की जिसकी सहायता से कम समय, शक्ति व श्रम का प्रयोग करके गृह कार्य कुशलता पूर्वक संपन्न किए जा सके। परिणामतः इनकी प्रयोग की विधियां एवं घरेलू कार्यों को कुशलतापूर्वक संपन्न करने के लिए घर की महिलाओं को शिक्षित किया जाने लगा।
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प्रश्न: भारत में गृह विज्ञान विषय का विकास कब माना जाता है?
उत्तर: भारत में गृह विज्ञान विषय के विकास की दृष्टि से 1932 का वर्ष विशेष रूप से उल्लेखनीय है। इसी वर्ष अखिल भारतीय महिला सम्मेलन के प्रयास से भारत में 10 नवंबर 1932 को दिल्ली में लेडी इरविन कॉलेज की स्थापना हुई। यहां गृह विज्ञान की अनिवार्य शिक्षा दी जाती थी जिसमें केवल गृह विज्ञान का ही विस्तृत अध्ययन करवाया जाता था। प्रारंभ में यहां गृह विज्ञान में डिप्लोमा अथवा सर्टिफिकेट कोर्स ही होता था। परंतु कुछ वर्षों की कोशिशों के बाद इस कॉलेज को दिल्ली विश्वविद्यालय से मान्यता प्राप्त हो गई। परिणामतः यहां B.Sc. Home science की डिग्री दी जाने लगी। यहां शिक्षिकाओं हेतु प्रशिक्षण कोर्स भी प्रारंभ किया गया। तथा गृह विज्ञान में स्नातकोत्तर के साथ ही शोध कार्य भी होने लगा। जल्दी ही यह कॉलेज गृह विज्ञान के क्षेत्र में काफी नाम कमाने लगा। इस कॉलेज के कारण गृह विज्ञान का प्रचार प्रसार पूरे देश में हुआ। लेडी इरविन कॉलेज की स्थापना के बाद भारत में कई विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों में भी गृह विज्ञान विषय ऐच्छिक अथवा वैकल्पिक विषय के रूप में पढ़ाया जाने लगा। गृह विज्ञान विषय को बढ़ावा देने में “Faculty of Home science, Baroda” का भी महत्वपूर्ण योगदान रहा।
प्रश्न: यूरोपीय देशों में गृह विज्ञान शिक्षा का विकास किस प्रकार हुआ?
उत्तर: यूरोपीय देशों में गृह विज्ञान की शिक्षा का प्रारंभ बीसवीं शताब्दी में हुआ। इंग्लैंड में बोअर युद्ध के पश्चात स्त्रियों के उत्थान हेतु उनकी पारिवारिक अवस्था में सुधार हेतु स्कूल कॉलेजों के पाठ्यक्रम में गृह विज्ञान को स्थान मिला। यह विषय इतना लोकप्रिय हुआ कि इसके शिक्षण के लिए प्रशिक्षित शिक्षकों की आवश्यकता हुई। परिणाम स्वरूप लंदन विश्वविद्यालय के अंतर्गत गृह विज्ञान का बैटरसी ट्रेनिंग कॉलेज आरंभ हुआ। यहां की शिक्षिकाओं को गृह विज्ञान से संबंधित पाक कला एवं वस्त्र धुलाई कला इत्यादि विषयों का सैद्धांतिक एवं प्रयोगशालाओं के माध्यम से प्रायोगिक प्रशिक्षण दिया जाने लगा।
प्रश्न: अमेरिका में गृह विज्ञान की शिक्षा के प्रसार का श्रेय किसे प्रदान किया जाता है?
उत्तर: सर्वप्रथम अमेरिका में सन् 1840 में कैथरीन ई० बीचर ने घरेलू अर्थव्यवस्था (Domestic Economy) विषय को विद्यालयों में एक विज्ञान विषय के रूप में पढ़ाए जाने की आवश्यकता पर जोर दिया। धीरे-धीरे अमेरिका में गृह विज्ञान शिक्षा का विकास होने लगा।
19वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में श्रीमती एल० एच० रिचार्ड ने (Mrs. Ellen H Richards) गृह विज्ञान के प्रचार प्रसार के लिए प्रयास किए। शिकागो में उन्होंने ‘रंफोर्ड किचेन‘ की स्थापना कर पोषक तत्वों की रक्षा एवं उपयोगी पाक-कला का प्रचार-प्रसार किया। लेक प्लेसिड क्लब में उन्होंने एक सम्मेलन की अध्यक्षता भी की। यह संस्था अमेरिका में गृह अर्थव्यवस्था की शिक्षा द्वारा दैनिक घरेलू जीवन में व्याप्त समस्याओं का समाधान कर उत्तम गृह प्रबंध करने का सुझाव देती थी।
सन् 1909 में अमेरिकन होम इकोनॉमिक्स एसोसिएशन की स्थापना हुई। इसके बाद लगातार इसकी सदस्यता में वृद्धि होकर गृह विज्ञान विषय का व्यापक प्रचार होता रहा। अनेक शिक्षण संस्थाओं में विभिन्न नामों से इस विषय का शिक्षण आरंभ होकर यह विषय लोकप्रिय होता गया।
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प्रश्न: भारत के कुछ प्रमुख गृह विज्ञान कॉलेजों का नाम लिखिए?
उत्तर: पाश्चात्य देशों की भांति ही भारत में भी कुछ संस्थाएं हैं जो गृह विज्ञान की शिक्षा विश्वस्तरीय प्रदान करती हैं जैसे- दिल्ली का लेडी इरविन कॉलेज, जबलपुर का एच०एम० कॉलेज ऑफ होम साइंस, बड़ौदा विश्वविद्यालय का फैकेल्टी ऑफ होम साइंस इंस्टीट्यूट, नैनी के एग्रीकल्चरल इंस्टिट्यूट का गृह विज्ञान विभाग, इलाहाबाद का गवर्नमेंट होम साइंस कॉलेज, आगरा विश्वविद्यालय का होम साइंस इंस्टीट्यूट आदि।
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|| प्रिय पाठकों अपना कीमती समय देने के लिए धन्यवाद। आशा करती हूँ कि गृह विज्ञान के इतिहास से संबंधित सभी महत्वपूर्ण प्रश्नों के उत्तर आपको मिल गए होंगे। यदि गृह विज्ञान के इतिहास से संबंधित कोई भी doubt या suggestion हो तो comment box में जरूर लिखें।
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