प्रसार शिक्षा का अर्थ | परिभाषा | आवश्यकता

प्रसार शिक्षा का अर्थ, परिभाषा एवं आवश्यकता

Prasar Shiksha ka Arth, Paribhasha evam Aavashyakta 

प्रिय पाठकों,

प्रस्तुत लेख में हम प्रसार शिक्षा का अर्थ, परिभाषा एवं आवश्यकता का अध्ययन करेंगे। प्रसार शिक्षा का अर्थ है लोगों को शिक्षा के अवसर प्रदान करना, ताकि वे अपनी क्षमताओं को विकसित कर सकें और समाज में योगदान दे सकें। प्रसार शिक्षा की परिभाषा है किसी भी उम्र, वर्ग, जाति, या लिंग के लोगों को शिक्षा प्रदान करना। प्रसार शिक्षा की आवश्यकता इसलिए है क्योंकि यह लोगों को शिक्षित बनाकर उन्हें सशक्त बनाती है। शिक्षित लोग बेहतर निर्णय लेने में सक्षम होते हैं और समाज में सकारात्मक परिवर्तन ला सकते हैं।

प्रसार शिक्षा क्या है ? (What is Extension Education?)

प्रसार शिक्षा वह शिक्षा है जो विद्यालय अथवा किसी संस्थान के सीमाओं से बहार युवाओं  तथा  प्रौढ़ों को दी जाने वाली शिक्षा है। प्रसार शिक्षा मुख्य रूप से औपचारिक शिक्षा से वंचित ग्रामीणों  (कृषकों, पशुपालकों, दुग्ध उत्पादकों, गृहिणियों तथा स्कूल छोड़ने वाले बालकों को) दी जाती है।प्रसार शिक्षा एक निरंतर चलने वाली शिक्षा है जिसका कोई अंत नहीं है।

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प्रसार शिक्षा द्वारा ग्रामीणों, अनपढ़ों एवं बेरोजगारों को शिक्षित किया जाता है जिसके माध्यम से वे  अपने ही स्थानीय परिस्थितियों में रह कर ज्ञानार्जन कर, अपने स्वयं के प्रयासों से रोजगार प्राप्त कर  सकते हैं  और अपने जीवन-स्तर को ऊँचा उठा सकते हैं 

 प्रसार शिक्षा का अर्थ (Meaning of Extension Education)

प्रसार शिक्षा दो शब्दों से मिलकर बना है, ‘प्रसार‘ (Extension) तथा  ‘शिक्षा‘ (Education) ‘Extension’ शब्द लैटिन भाषा के शब्द ‘Ex’ तथा ‘Tensio’ से मिलकर बना है।  ‘Ex’ का अर्थ है ‘Out’ (बाहर) और ‘Tensio’ का अर्थ है ‘To Spread’ (फैलाना / विस्तार करना)

प्रसार शिक्षा की परिभाषाएँ 

विभिन्न प्रसार शिक्षाविदों ने अपनी-अपनी सोच व दृष्टिकोण से प्रसार शिक्षा को परिभाषित किया है।  जिसके द्वारा इसकी  व्यापकता का बोध होता है। 

प्रसार शिक्षा की कुछ महत्वपूर्ण परिभाषाएँ

1. डगलस ऐस्मिंजर के शब्दों में – “प्रसार एक ऐसी शिक्षा है जिसका उद्देश्य उन व्यक्तियों की अभिव्यक्तियों तथा अभ्यास (पद्धति) में परिवर्तन लाना है, जिनके साथ कार्य किया जाना है। “

2. जे. पी. लिगनस के अनुसार- “प्रसार शिक्षा एक व्यावहारिक विज्ञान है जिसका विषय वस्तु क्षेत्रों के अनुभवों से एकत्रित शोधों (खोजों) तथा संबंधित  सिद्धांतों से उदगमित होता है, जिसका दर्शन, सिद्धांत, विषय वस्तु, विधियाँ तथा उपयोगी तकनीकों के विकास द्वारा विद्यालयी शिक्षा के सीमा के बाहर के युवाओं तथा प्रौढ़ों की समस्याओं को सुलझाने के लिए केन्द्रित (Focused) होता है। 

3. ओ. पी. दहामा ने प्रसार शिक्षा को परिभाषित करते हुए लिखा है- “प्रसार शिक्षा को एक शैक्षणिक विधि के रूप में परिभाषित किया जा सकता है जिसके अन्तर्गत ग्रामीण लोगों को उनकी उन्हीं विशिष्ट स्थानीय परिस्थितियों में ही, उन्नत पद्द्ति के बारे में जानकारी दी जाती है तथा अच्छे प्रकार से समझा-बुझाकर निर्णय लेने में उनकी मदद की जाती है।”

4. डॉ. रंजीत सिंह ने प्रसार शिक्षा को परिभाषित करते हुए लिखा है – “प्रसार शिक्षा एक विज्ञान है जो संबंधित व्यक्तियों के व्यवहार में शैक्षणिक विधियों का प्रयोग कर परिवर्तन लाता है तथा अपने स्वयं के प्रयासों (मेहनत) से, अपने सामान्य रहन-सहन के स्तर को ऊँचा उठता है।”

5. एस. वी. सुपे के अनुसार – “प्रसार शिक्षा ग्रामीण लोगों की शिक्षा है जो उन्हें नियमित संस्थागत विद्यालयों तथा कक्षाओं के सीमाओं से बहार उनके सामाजिक तथा सांस्कृतिक विकास के लिए दी जाती है।”

6. ए. एडीवी रेड्डी ने प्रसार शिक्षा को परिभाषित करते हुए लिखा है – “प्रसार शिक्षा सामुदायिक विकास के लक्ष्यों को प्राप्त करने का एक साधन है जिनके अंतर्गत अनेक तथ्यों, क्षेत्रों तथा विषय वस्तुओं को सम्मिलित किया जाता है जिसमें कृषि सर्वाधिक महत्वपूर्ण है।”   

     उपर्युक्त सभी परिभाषाएँ प्रसार शिक्षा के व्यापक अर्थ, विस्तृत क्षेत्र एवं मानव विकास में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका तथा योगदान को प्रस्तुत करती है।  प्रसार शिक्षा ग्रामीणों को उनकी समस्याओं को पहचानना सिखाती है, अपने लक्ष्यों को निर्धारित करना सिखाती है, समस्याओं को स्वयं के प्रयासों से तथा नवीन तकनीकों को अपनाकर सुलझाना सिखाती है जिससे उनका रहन-सहन एवं जीवन-स्तर ऊँचा उठा सके। 

प्रसार शिक्षा की आवश्यकता

प्रसार शिक्षा ग्रामीण जीवन के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। आजादी के बाद से ही समाज सुधारकों, नेताओं का ध्यान ग्रामीणों की तरफ आकर्षित हुआ। उन्होंने यह महसूस किया कि ग्रामीण लोग अज्ञानता, रूढ़िवादिता एवं अंध विश्वास में जीवन जीते है। उनका जीवन आभावों में व्यतीत होता है तो क्यों नहीं उनके जीवन स्तर को सुधारने के लिए कोई ठोस कदम उठाए जाए तथा ऐसी शिक्षा की व्यवस्था की जाए जो उन्हें उनकी परिस्थितियों में दी जाए तथा उनकी समस्याओं को सुलझाया जाए। इन्ही आवश्यकतों की पूर्ति को ध्यान में रखते हुए प्रसार शिक्षा कार्यक्रम की बुनियाद रखी गई।

  • प्रसार शिक्षा की आवश्यकता को निम्न महत्वपूर्ण बिंदुओं से समझ सकते है –
  • पलायन रोकने के लिए (To prevent plight)
  •  नवीन तकनीकों, सूचनाओं एवं विचारों को लोगों तक पहुंचाने में
  •  समस्याओं को सुलझाने में
  • कार्य कुशलता बढ़ाने में
  • सीखने तथा सिखाने में
  • मानव व्यवहार में परिवर्तन लाने में
  • अन्वेषक तथा किसानों के बीच एक कड़ी की तरह

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|| प्रिय पाठकों अपना कीमती समय देने के लिए धन्यवाद। मुझे उम्मीद है कि इस लेख से आपको प्रसार शिक्षा क्या है (prasar shiksha kya hai), प्रसार शिक्षा का अर्थ (prasar shiksha ka arth), प्रसार शिक्षा की परिभाषा (prasar shikhsa ki paribhasha) एवं प्रसार शिक्षा की आवश्यकता (prasar shiksha ki aavshykta) से सम्बंधित समस्त जानकारी मिल गयी होगी। अगर आपको मेरा ये लेख पसंद आया हो तो इसे लाइक करें और अपने दोस्तों को भी शेयर करें ताकि उन्हें भी इस विषय से जुड़ी जानकारी मिल सके और आगे भी ऐसी जानकारी के लिए मेरी वेबसाइट https://www.binitamaurya.com को विजिट करें। ||   धन्यवाद !!!  

 

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