गृह विज्ञान | लक्ष्य | उद्देश्य (Objective | Goal of Home Science )
Hello Friends, इस लेख में हम गृह विज्ञान के लक्ष्य और गृह विज्ञान के उद्देश्यों की चर्चा करेंगे, लेकिन इसके पूर्व जान लेते है कि ‘गृह विज्ञान क्या है‘ और ‘गृह विज्ञान के जनक कौन है‘।
इस लेख में
- गृह विज्ञान क्या है?
- गृह विज्ञान का जनक | जन्मदाता
- गृह विज्ञान का लक्ष्य
- गृह विज्ञान का उद्देश्य
- गृह विज्ञान शिक्षा का दैनिक जीवन में महत्त्व
गृह विज्ञान क्या है? | Grih Vigyan kya hai | What is Home Science
गृह विज्ञान एक ऐसा विज्ञान है जो व्यक्ति के घर-परिवार, संस्कार, मनोविज्ञान एवं जीवन के विभिन्न पहलुओं से संबंधित है। यह एक वैज्ञानिक एवं कलात्मक विषय है। इसके अंतर्गत पोषण–विज्ञान, पाक–शास्त्र, गृह–अर्थशास्त्र, बाल–विकास, वस्त्र–विज्ञान, गृह–व्यवस्था, आंतरिक–सज्जा आदि का अध्ययन किया जाता है। यह एक सामाजिक विज्ञान है जो व्यक्ति, घर-परिवार से संबंधित सभी आवश्यकताओं और योजनाओं के बारे में व्यवस्थित रूप से अध्ययन करता है तथा घर परिवार के सुख सुविधाओं में वृद्धि करने के लिए वैज्ञानिक या सैद्धान्तिक एवं व्यावहारिक ज्ञान प्रदान करता है। जो व्यक्ति को सफल पारिवारिक जीवन व्यतीत करने एवं अपनी समस्याओं को हल करके सुख पूर्वक जीवन-यापन करने का ज्ञान प्रदान करता है। गृह विज्ञान का मुख्य उद्देश्य कुशल गृह प्रबंध द्वारा घर को सुविधापूर्ण तथा पारिवारिक जीवन को सुखमय बनाना है।
गृह विज्ञान का जनक कौन है | गृह विज्ञान का पिता कौन है | गृह विज्ञान का जन्मदाता कौन है | Grih Vigyan ka Janak kaun hai | Grih Vigyan ka Pita kaun hai | Grih Vigyan ka Janmdata kaun hai | Who is Father of Home Science
गृह विज्ञान विषय का जन्मदाता अगर अमेरिका को कहा जाय तो अतिशयोक्ति नहीं होगी।अगर हम गृह विज्ञान के इतिहास को देखें तो गृह विज्ञान विषय के विकास का मुख्य श्रेय औद्योगिकीकरण सभ्यता को जाता है।
अमेरिका के विद्यालयों में 18वीं सदी से ही पाक–कला एवं सिलाई–कला की शिक्षा दी जाती थी। सर्वप्रथम ‘कैथरीन ई० वीवर‘ ने 1840 में घरेलू अर्थव्यवस्था (Domestic Economy) विषय को विद्यालयों में एक विज्ञान विषय के रूप में पढ़ाए जाने की अनुशंसा की।
अमेरिका में गृह विज्ञान विषय के विकास में लैंड ग्रांट कॉलेज का सर्वाधिक योगदान रहा। लैंड ग्रांड कॉलेज नें गृह विज्ञान विषय की पढ़ाई के साथ ही ड्रेस–डिजाइन, सिलाई–कला, तथा पाक–कला की शिक्षा द्वारा गृह विज्ञान विषय के विकास को गति प्रदान की।
अमेरिका के शिकागो शहर की श्रीमती एच०एल० रिचार्ड ने 19वीं सदी के उत्तरार्द्ध में गृह विज्ञान के महत्व को स्वीकारा तथा पारिवारिक जीवन को बेहतर बनाने में इसके योगदान पर प्रकाश डाला। इन्होंने शिकागो में ‘रम्फोर्ड किचन‘ की स्थापना की।
1909 में अमेरिकन “Home Science Economics Association” (HSEA) की स्थापना हुई। इसके बाद से इस ‘Association’ में लोगों की सदस्यता लगातार बढ़ने लगी। तथा गृह विज्ञान विषय एक व्यापक विषय बन गया। विभिन्न शिक्षण संस्थानों में ‘गृह विज्ञान‘ विषय को विभिन्न नामों से पढ़ाया जाने लगा। परिणाम स्वरूप गृह विज्ञान एक लोकप्रिय विषय बन गया।
आइये अब हम जान लेते है कि गृह विज्ञान के लक्ष्य और गृह विज्ञान के उद्देश्य क्या है
गृह विज्ञान का लक्ष्य क्या है | Grih Vigyan ka Lakshya kya hai | Objectives of Home Science
1. छात्राओं को सुखी एवं समृद्धि पारिवारिक जीवन के लिए शिक्षा प्रदान करना।
2. उपलब्ध संसाधनों द्वारा पारिवारिक आवश्यकताओं की पूर्ति कर सदस्यों को संतुष्टि प्रदान करना।
3. व्यक्ति का सर्वांगीण विकास करना।
4. गृह विज्ञान विषय में विभिन्न क्षेत्रों का ज्ञान प्रदान करना।
5. उपलब्ध संसाधनों का उपयोग कर पारिवारिक जीवन स्तर को ऊंचा उठाना।
6. गृह विज्ञान के व्यवसायिक क्षेत्रों में रोजगार हेतु छात्रों को तैयार करना।
7. व्यक्ति को स्वरोजगार के लिए सक्षम बनाना।
8. व्यक्ति का निजी जीवन सुधारने, सभी के साथ मधुर संबंध रखने तथा पारिवारिक जीवन स्तर ऊंचा उठाने में सहायता करना।
9. व्यक्ति को स्वयं अपने पारिवारिक समस्याओं को हल करना सिखाना।
10. व्यक्ति को स्वरोजगार के लिए प्रेरित कर अन्य व्यक्तियों को भी रोजगार के अवसर प्रदान करना।
11. व्यक्ति, परिवार, समाज एवं राष्ट्र के विकास में सहायता प्रदान करना।
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गृह विज्ञान के उद्देश्य क्या है | Grih Vigyan ke Uddeshya kya hai | What are Aims of Home Science
गृह विज्ञान के प्रमुख उद्देश्य या गृह विज्ञान शिक्षण के उद्देश्य इस प्रकार हैं
1. संतुष्टि की प्राप्ति
गृह विज्ञान का यह मुख्य उद्देश्य होना चाहिए कि उपलब्ध सीमित संसाधनों से अधिकतम आवश्यकताओं की पूर्ति कर संतुष्टि प्राप्त करना जिससे व्यक्ति में संतुष्टि की भावना का विकास हो।
2. जिम्मेदारी या दायित्व की भावना
प्रत्येक गृहिणी या छात्रा को अपनी पारिवारिक उत्तरदायित्व की जानकारी देकर उसे सफलतापूर्वक निर्वाह करना सिखाना।
3. अच्छी आदतों का निर्माण
अच्छे स्वास्थ्य एवं सुखी जीवन के लिए व्यक्ति में स्वस्थ एवं अच्छी आदतों का निर्माण करना तथा संतुलित–आहार, पोषक–आहार, उचित–विश्राम, शरीर की स्वच्छता, घर की साफ-सफाई, कार्य करने की उचित तरीके, आदि की जानकारी प्रदान करना।
4. स्वनिर्भरता एवं आत्मविश्वास
गृहिणी को घर से संबंधित कार्यों में सभी पक्षों की पर्याप्त जानकारी प्रदान करना जिससे वह सभी कार्यों को आत्मविश्वास के साथ कुशलतापूर्वक कर सकती है तथा आवश्यकता पड़ने पर आत्मनिर्भर रहकर कार्य कर सकती है।
5. कुशलता या दक्षता का विकास
व्यक्ति या छात्राओं में घर से संबंधित सभी कार्यों को करने के लिए कुशलता या दक्षता का विकास किया जाना चाहिए, इसके लिए सभी पक्षों का सैद्धांतिक एवं व्यवहारिक ज्ञान भी दिया जाना चाहिए एवं किसी भी कार्य को करने की नवीन पद्धति के बारे में बताना तथा किसी भी कार्य को सही व कम समय, शक्ति द्वारा किस प्रकार किया जाए इसका पूर्ण प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए।
6. कलापूर्ण अभिव्यक्ति
गृह विज्ञान द्वारा सैद्धांतिक या वैज्ञानिक ज्ञान के साथ ही उसके कलापूर्ण या कलात्मक पक्ष का अध्ययन भी सम्मिलित किया जाना चाहिए। किसी भी घर को सुंदरता या साज-सज्जा के लिए उसमें कलापूर्ण अभिव्यक्ति देने की आवश्यकता होती है। छात्रा या गृहिणी, कला के सिद्धांतों, उद्देश्य, तत्वों, आदि का ज्ञान प्राप्त करके घर को सुंदर बना सकती है। जिससे न केवल उसका व्यक्तित्व विकास होगा वरन् पारिवारिक सदस्य भी खुश रहते हैं। गृहिणी में कलापूर्ण अभिव्यक्ति के लिए कीमती वह बहुत अधिक सजावटी वस्तुओं के साथ ही सस्ती व अनुपयोगी वस्तुओं को भी उचित तरीके से प्रस्तुत करने की क्षमता होनी चाहिए।
7. नैतिकता का विकास
नैतिकता या नैतिक व्यवहार जन्मजात नहीं होता है। इसे सामाजिक परिवेश से सीखा या अर्जित किया जाता है। गृह विज्ञान शिक्षण द्वारा गृहिणी में नैतिकता के गुणों के विकास का ज्ञान प्रदान करना चाहिए जिससे व्यक्ति, परिवार, समाज एवं राष्ट्र का उचित नैतिक विकास हो।
8. सामाजिकता का विकास
मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। समाज में रहने के लिए अच्छे सामाजिक संबंध बनाए रखना अति आवश्यक है। गृह विज्ञान द्वारा नैतिकता के विकास के साथ ही साथ सामाजिकता का भी विकास किया जाता है। जिसके द्वारा परिवार अच्छे मित्र, पड़ोसी व अच्छे संबंधी बना सकें एवं व्यक्ति का सामाजिक जीवन मधुर हो सके।
9. परंपरा या सांस्कृतिक मूल्य
प्रत्येक समाज एवं राष्ट्र की अपनी परंपरा या सांस्कृतिक मूल्य होते हैं। गृह विज्ञान द्वारा इन परंपराओं या सांस्कृतिक मूल्यों जैसे – संयम, सौम्यता, ईमानदारी, संतोष, सज्जनता, सरलता, सादगी, आदर, आदि का विकास किया जाना चाहिए जिससे गृहिणी स्वयं में व परिवार में भी इन मूल्यों को स्थापित कर सके व अगली पीढ़ी में भी यह मूल्य सुरक्षित रह सके।
10. वित्तीय या आर्थिक सुरक्षा
वर्तमान समय में हर कोई चाहता है कि उसके पास अधिक से अधिक धन हो, ताकि वह अपने परिवार को बेहतर सुविधाएं दे सके, बच्चों को अच्छी शिक्षा दे सके। इन सुविधाओं के लिए घर की आय बढ़ाना अनिवार्य होता जा रहा है। इसलिए, गृह विज्ञान के माध्यम से गृहिणी में इतनी क्षमता का विकास हो सके कि वह जरूरत पड़ने पर अपने परिवार को वित्तीय या आर्थिक सुरक्षा प्रदान कर सके।
11. समायोजन क्षमता का विकास
गृह विज्ञान द्वारा गृहिणी को पारिवारिक सदस्यों के साथ व समाज के साथ समायोजन करना सिखाना चाहिए जिससे बदलते हुए वक्त की चुनौतियों का सामना करने के लिए प्रशिक्षण प्राप्त कर बदलते परिवेशों में समायोजन की क्षमता का विकास कर अपना व अपने परिवार को संभाल सके।
12. आंतरिक व शारीरिक विकास
गृह विज्ञान द्वारा गृहिणी को शरीर विज्ञान, मनोविज्ञान, स्वास्थ्य विज्ञान, बाल विकास, पारिवारिक संबंधों, आदि की पर्याप्त जानकारी दी जानी चाहिए जिससे उसका व पारिवारिक सदस्यों का उचित मानसिक व शारीरिक विकास हो सके।
13. वैज्ञानिक मत या दृष्टिकोण
गृह विज्ञान का प्रमुख उद्देश्य घरेलू कार्यों के व्यवहारिक अध्ययन के साथ ही वैज्ञानिक जानकारी भी प्रदान करना है। वैज्ञानिक ज्ञान द्वारा छात्राएं या गृहिणीयाँ गृह कार्यों को व्यवस्थित एवं वैज्ञानिक ढंग से संपन्न करती है। वह परंपरागत तरीके से हटकर नवीन तकनीकों एवं समय, शक्ति बचत के उपकरणों का प्रयोग कर कार्य को सरलतापूर्वक करती है। और बचे हुए समय, शक्ति के उपयोग द्वारा अर्थोपार्जन कर अपना व परिवार की आर्थिक स्थिति को मजबूत करती है। अतः हम कह सकते हैं कि छात्राओं या गृहिणियों का सर्वांगीण विकास करना ही गृह विज्ञान का मुख्य उद्देश्य होना चाहिए।
अब हम जान लेते है कि गृह विज्ञान शिक्षा का दैनिक जीवन में क्या महत्व है ?
गृह विज्ञान शिक्षा का दैनिक जीवन में क्या महत्व है ? | Grih Vigyan ka Dainik Jeevan me kya Mahtav hai ?
गृह विज्ञान की शिक्षा हमें न केवल घर को सुचारू रूप से चलने का ज्ञान प्रदान करता है वरन् यह बच्चों अपना निजी जीवन सँवारने, घर में सबके साथ मधुर संबंध रखने तथा परिवार का जीवन-स्तर ऊँचा उठाने में भी सहायता करता है।
गृह-विज्ञान शिक्षा का दैनिक जीवन में महत्व निम्नलिखित है
1. गृह-विज्ञान गृह से संबंधित समस्याओं का ज्ञान कराकर उन समस्याओं का समाधान किस प्रकार किया जाए इसका उपाय बतलाता है।
2. गृह-विज्ञान कला और विज्ञान का अनोखा संगम है। इसका अध्ययन घर के सभी कार्यों में वैज्ञानिक रूप से करना सिखाता है। जैसे – केवल भोजन बनाना ही नहीं वरन्, कम धन व्यय करके सभी सदस्यों को उनकी रुचि एवं आवश्यक्ता अनुसार पौष्टिच भोजन उप्लब्ध कराना। नवीन एवं वैज्ञानिक तकनीकों का उपयोग कर कम समय तथा शक्ति खर्च करके गृहोपयोगी कार्यों को पूरा करना एवं अपना व अपने परिवार का जीवन स्तर ऊँचा उठाना।
3. गृह विज्ञान शिक्षा में बाल विकास तथा मानव संबंधों के बारे में पढ़ाया जाता है। जिसमें बच्चे का शारीरिक, मानसिक, सामाजिक तथा संवेगात्मक विकास के विषय में पढ़ाया जाता है। इसके ज्ञान से बच्चे का विकास उचित दर से हो रहा है या नहीं यह जान सकते हैं। बच्चे अपने संवेगों पर नियंत्रण कर घर में तथा घर के बाहर अपने को समायोजित करना सीखते हैं।
4. गृह विज्ञान शिक्षा बच्चों को जागरूक उपभोक्ता बनाने में भी सहयोगी है। जिससे वे अपने कर्तव्यों तथा अधिकारों के बारे में जानते हैं।
5. गृह विज्ञान शिक्षण द्वारा गृहिणी उपलब्ध साधनों – समय, शक्ति, कौशल, रुचि, आदि का उचित प्रयोग कर घर व घर से बाहर के कार्यों को आसानी से पूरा कर सकती है।
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