प्रसार कार्यकर्ता के गुण | Qualities of an Extension Worker

प्रसार कार्यकर्ता के गुण | Qualities of an Extension Worker

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प्रिय पाठको,

जैसा कि हम सब जानते हैं कि प्रसार कार्य बहुआयामी होता है। इसके अनेक क्षेत्र होते हैं। जैसे – कृषि, कुटीर एवं लघु उद्योग,आहार आयोजन, गृह प्रबंध, शिशु पालन, साक्षरता, फल एवं सब्जी संरक्षण, सामुदायिक विकास आदि अनेकों क्षेत्र होते हैं। सभी क्षेत्रों तथा गांव के सभी वर्ग के लोगों से प्रसार कार्य का सीधा संबंध होता है। कार्यकर्ता को सभी के साथ बहुत ही विनम्रता, विवेक, संयम और प्रेम पूर्वक व्यवहार करना होता है। इसलिए प्रत्येक कार्यकर्ता में कुछ मूलभूत आवश्यक गुणों का होना अत्यंत ही आवश्यक है। प्रस्तुत लेख में हम प्रसार कार्यकर्ता के इन्हीं मूलभूत आवश्यक गुणों की विस्तार से चर्चा करेंगे। तो आइए शुरू करते हैं।

प्रश्न – प्रसार कार्यकर्ता के गुण कौन-कौन से हैं?

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प्रश्न – प्रसार कार्यकर्ता के गुणों का वर्णन कीजिए।

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प्रश्न – प्रसार कार्यकर्ता में कौन-कौन से गुण होने चाहिए?

प्रसार कार्यकर्ता के गुण

प्रसार कार्यकर्ता का कार्य क्षेत्र अत्यंत विस्तृत एवं व्यापक होता है। प्रत्येक प्रसार कार्यकर्ता में ठीक ढंग से अपनी भूमिका निभाने के लिए कुछ मूलभूत गुणों का होना आवश्यक माना जाता है। इन गुणों का वर्णन इस प्रकार किया जा सकता है –

1. ग्रामीण पृष्ठभूमि

प्रसार कार्यकर्ता को ग्रामीण पृष्ठभूमि से जुड़ा होना चाहिए। अगर वह कृषक परिवार से हो तो बहुत ही अच्छा है। क्योंकि ग्रामीण पृष्ठभूमि से जुड़े लोग ही ग्रामीणों की समस्याओं को ठीक प्रकार से समझ सकते हैं और उनके साथ मिल-जुल कर कार्य कर सकते हैं। वह बहुत ही आसानी से ग्रामीण परिस्थितियों में खुद को ढाल लेते हैं तथा जल्दी ही ग्रामीणों के सहयोगी एवं मित्र बन जाते हैं। वे सौहार्दपूर्ण वातावरण तैयार कर ग्रामीणों को अपने अनुरूप बना लेते हैं तथा उनकी सहभागिता (Participation) के द्वारा प्रसार कार्यक्रमों की सफलता प्राप्त कर लेते हैं।

 

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2. विषय का ज्ञान

प्रसार कार्यकर्ता को प्रसार के सभी क्षेत्रों के विषय में कुछ मूलभूत जानकारियां होनी चाहिए। क्योंकि अगर ग्रामीण अपनी किसी समस्या का हल प्रसार कार्यकर्ता से पूछे तो उसे सही जवाब देना चाहिए। नहीं तो ग्रामीणों का विश्वास उस पर से उठ जाएगा। अगर उसे पूछे गए प्रश्नों का जवाब नहीं ज्ञात हो तो विषय विशेषज्ञों से पूछ कर उसका जवाब ग्रामीणों को देना चाहिए। प्रसार कार्यकर्ता का कार्य क्षेत्र बहुत व्यापक है। इसमें अनेक विषय, जैसे- ग्रामीण समाजशास्त्र, मनोविज्ञान, कृषिअभियांत्रिकी, गृह विज्ञान, अर्थशास्त्र, भूगोल, आरोग्य शास्त्र, पशुपालन, मत्स्य पालन, कुटीर उद्योग, कृषि विज्ञान, आदि आते हैं। प्रसार कार्य में इन सभी विषयों से संबंधित कार्यों की योजना बनाई जाती है तथा क्रियान्वित की जाती है। इसलिए प्रसार कार्यकर्ता को इन सभी विषयों की मूलभूत जानकारी होनी चाहिए। तथा विशेष जानकारी के लिए उसे विषय विशेषज्ञों से लगातार संपर्क में रहना चाहिए।

 

3. ग्रामीण विकास के प्रति आस्था

प्रसार कार्य का मुख्य उद्देश्य ग्रामीणों का उत्थान व कल्याण है। प्रसार कार्य विकासोन्मुख होता है। और विकासोन्मुख कार्य पूरे मन से वही कर सकता है जो विकास के कार्यों के प्रति आस्थावान हो। क्योंकि जिसके अंदर विकास के प्रति आस्था और विश्वास नहीं होगा, वह कार्य के प्रति उत्साहित नहीं होगा और अपने कार्य में सफलता नहीं प्राप्त कर सकता। अतः प्रसार कार्यकर्ता को ग्रामीण विकास के प्रति आस्थावान होना चाहिए जिससे वह कितनी ही बाधाएं आ जाए फिर भी धैर्य पूर्वक दुगने उत्साह से कार्य कर पाएगा व अपने कर्तव्य से पीछे नहीं हटेगा। और प्रसार कार्य सफल होगा।

 

4. ग्रामीणों की सभ्यता एवं कठिनाइयों का ज्ञान

प्रसार कार्यकर्ता को ग्रामीणों की सभ्यता, संस्कृति, एवं कठिनाइयों का ज्ञान होना अत्यंत आवश्यक है। क्योंकि बिना उनके रहन-सहन को जाने, उनकी सभ्यता व संस्कृति को पहचाने, प्रसार कार्य शुरू नहीं करवा सकता। यदि शुरू भी करवाता है तो अपने लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर सकता। और प्रसार कार्यक्रम को सफलता नहीं मिलती है।

 

5. प्रसार कार्य करने की योग्यता या निपुणता

प्रसार कार्यकर्ता को प्रसार कार्य करने में योग्य या निपुण होना चाहिए। क्योंकि गांवों में जाकर ग्रामीणों के साथ कार्य करना सरल नहीं होता है। ग्रामीणों का स्वभाव जिद्दी होता है वह किसी भी बात को आसानी से नहीं स्वीकार करते हैं। गांवों में गुटबंदी भी होती है व जाति , वर्ग, धर्म, समुदाय, संप्रदाय, अमीर-गरीब, ऊंच-नीच की भावनाएं भी प्रबल होती हैं। जिसे दूर करना बहुत मुश्किल होता है। और इन विषमताओं के साथ कार्य करना सहज नहीं होता है। इस स्थिति में प्रसार कार्यकर्ता को अपने बुद्धि विवेक का प्रयोग कर उनकी समस्याओं को समझकर, कार्यक्रम आयोजित एवं क्रियान्वित करना चाहिए। जिससे प्रसार कार्य सफल हो सके।

 

6. नई तकनीकों एवं जानकारियों के लिए तत्पर

प्रसार कार्यकर्ता को नई तकनीकों एवं जानकारियों को प्राप्त करने के लिए तत्पर रहना चाहिए। प्रसार कार्यकर्ता को एक शिक्षक नेता व प्रशिक्षक होने के साथ ही विद्यार्थी भी बने रहना पड़ता है। मनुष्य का स्वभाव परिवर्तनशील है। समस्याएं भी अनंत है। और समस्याओं में प्रतिदिन परिवर्तन होता रहता है। हर रोज नई समस्याएं जन्म लेती रहती हैं। इस परिस्थिति में उनके निराकरण हेतु नवीन जानकारियों एवं ज्ञान की आवश्यकता होती है। नई जानकारियों को प्राप्त करने के लिए प्रसार कार्यकर्ता को विषय विशेषज्ञों के संपर्क में रहना पड़ता है तथा उनसे नई जानकारियों को सीखना व नवीन तकनीकों के उपयोग विधि को सीखना होता है। फिर उस नई जानकारी को ग्रामीणों को देना तथा नई तकनीकों को प्रयोग करके बताना होता है। प्रसार कार्यकर्ता नई तकनीकों एवं जानकारियों को सीखकर ही ग्रामीणों की समस्याओं का समाधान कर सकता है, उन्हें नवीन जानकारी से अवगत करा सकता है तथा प्रसार कार्य को संपन्न कर सकता है।

 

7. उन्नतिशील विचारधारा

प्रसार कार्यकर्ता में उन्नतिशील विचारधारा का गुण होना अत्यंत आवश्यक है। तभी वह ग्रामीणों में एक अर्से से व्याप्त कुरीतियों, अंधविश्वासों, रूढ़ीवादी विचारधाराओं को दूर कर पाएगा। उन्नतिशील विचारधाराओं को अपना कर ही प्रसार कार्यकर्ता ग्रामीणों के व्यवहार में व्यापक परिवर्तन ला सकता है।

 

8. अच्छा चरित्र

प्रसार कार्यकर्ता का चरित्र अच्छा होना चाहिए। ग्रामीणों के सामने उसे एक आदर्श प्रस्तुत करना होता है। एक अच्छे चरित्र का व्यक्ति ही दूसरों के सामने आदर्श के रूप खड़ा रह सकता है। चरित्रवान व्यक्तियों पर बड़ी ही सहजता से लोग विश्वास करते हैं, उसे नेता के रूप में स्वीकार करते हैं तथा उनकी बातों को मानकर, उनका अनुगमन या अनुसरण करते हैं।

 

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9. आदर्श व्यक्तित्व

प्रसार कार्यकर्ता को एक आदर्श व्यक्तित्व संपन्न व्यक्ति होना चाहिए। क्योंकि वह ग्रामीणों के बीच एक मित्र, प्रदर्शक और शिक्षक होता है। एक आदर्श व्यक्तित्व संपन्न व्यक्ति ही सभी का मित्र व मार्गदर्शक बन सकता है। प्रसार कार्यकर्ता के आदर्श व्यक्तित्व का गंभीर प्रभाव ग्रामीणों पर पड़ता है, और ग्रामीण उसे अपना आदर्श मानने लगते हैं। प्रसार कार्यक्रमों की सफलता, प्रसार कार्यकर्ता के व्यक्तित्व द्वारा निश्चित रूप से प्रभावित होती है।

 

10. ईमानदार व सत्यनिष्ठ

प्रसार कार्यकर्ता को ईमानदार व सत्यनिष्ठ होना चाहिए। क्योंकि उसे सरकार द्वारा चलाए जा रहे कार्यक्रमों को गांवों में क्रियान्वित करना पड़ता है जिसके लिए सरकार द्वारा खर्च करने के लिए पैसे भी दिए जाते हैं। अगर प्रसार कार्यकर्ता इमानदार होगा, तब वह सही तरीके से कार्यक्रमों को गांवों में क्रियान्वित करेगा। सभी ईमानदार व सत्यनिष्ठ व्यक्ति को ही सम्मान देते हैं। अगर प्रसार कार्यकर्ता ईमानदार है, तो ही वह कार्यक्रम के लिए आवंटित राशि को सही तरीके से उपयोग कर सकता है। वह ना खुद ही उस राशि का दुरुपयोग करता है ना ही दूसरों को दुरुपयोग करने देता है।

 

11. मृदुभाषी एवं विनम्रता का गुण

प्रसार कार्यकर्ता में मृदुभाषी एवं विनम्रता का गुण होना अति आवश्यक है। प्रसार कार्यकर्ता का ध्येय ग्रामीणों के बीच रहकर उनका उत्थान करना है। अगर उसमें मृदुभाषी एवं विनम्रता का गुण होगा तभी उसकी बात ग्रामीण मानेंगे और विकास कार्य को सफलता मिलेगी।

 

12. सादगीपूर्ण जीवन

प्रसार कार्यकर्ता को “सादा जीवन उच्चविचार” के आदर्श का पालन करते हुए सादगी पूर्ण जीवन व्यतीत करना चाहिए। जिससे ग्रामीणों को उसमें अपनापन दिख सके। उसके खान-पान संबंधी आदतें, कपड़े पहनने की समझ, बात-व्यवहार सभी में सादगी होनी चाहिए। जिससे वह ग्रामीणों के लिए एक आदर्श स्थापित कर सके।

 

13. न्यायप्रिय एवं व्यवहारकुशल

प्रसार कार्यकर्ता को ग्रामीण तथा पिछड़े क्षेत्रों में काम करते हुए सभी वर्गों के साथ मिलकर कार्य करना होता है। सभी अपनी-अपनी मान्यताएं और आदर्श के साथ जीवन जीते हैं। सबकी विचारधाराओं में भी भिन्नता पाई जाती है। ऐसी परिस्थिति में प्रसार कार्यकर्ता को न्याय प्रिय एवं व्यवहारकुशल होना चाहिए। ताकि वह निष्पक्ष भाव से प्रसार कार्यक्रम के मूल मंत्र “सर्वे भवंतु सुखिनः” का पालन कर सके।

 

14. निर्भीक, साहसी, एवं परिश्रम युक्त

निर्भीक, साहसी एवं परिश्रम का गुण प्रसार कार्यकर्ता की अमूल्य निधि होते हैं। प्रसार कार्यकर्ता को प्रसार कार्यक्रमों के क्रियान्वयन में बहुत से बाधाओं और कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। ग्रामीणों में व्याप्त रूढ़िवादिता बहुत से विरोधों को भी जन्म दे सकती है। जिससे कमजोर व्यक्ति अपना धैर्य खो सकता है। इसलिए प्रसार कार्यकर्ता को निर्भीक, साहसी एवं परिश्रमी होना चाहिए। जिससे वह कठिन व विरोधी स्थितियों में घबराए नहीं और परिश्रम के द्वारा पुनः साहस के साथ अपने काम पर लग जाए।

 

15. सेवा की भावना

प्रसार कार्यकर्ता में सेवा की भावना का होना नितांत आवश्यक है। प्रसार कार्य सेवा कार्य है। इसमें मानवता की सेवा की जाती है। गरीब व पिछड़े तथा अभावग्रस्त परिवारों की मदद की जाती है। अनेक समस्याओं , दुखों को सुना वह समझा जाता है तथा उसका निराकरण किया जाता है। इसलिए कार्यकर्ता में सेवा की भावना कूट-कूट कर भरी होनी चाहिए।

 

16. दूरदर्शिता का गुण

प्रसार शिक्षा निरंतर व अनवरत रूप से चलने वाली शिक्षा है। इसका कहीं कोई अंत नहीं है। यह धीमी एवं सतत् चलने वाली प्रक्रिया है। प्रसार कार्यकर्ता में दूरदर्शिता का गुण होना अति आवश्यक है जिससे वह सोच- विचार कर कार्यक्रमों का आयोजन करें और जनता को लाभ मिल सके तथा दूरगामी परिणाम अच्छा हो।

 

17. नेतृत्व का गुण

प्रसार कार्यकर्ता में नेतृत्व का गुण होना बहुत आवश्यक है। प्रसार कार्य तभी सफल होता है जब लोग संगठित होकर कार्य करते हैं। लोगों को संगठित करने में प्रसार कार्यकर्ता की मुख्य भूमिका रहती है। प्रसार कार्यकर्ता लोगों के जोड़ने की कड़ी के रूप में काम करता है व उसके शुदृढ़ नेतृत्व में ही लोग सही दिशा में एक साथ मिलकर काम कर पाते हैं।

 

18. मूल्यांकन क्षमता

प्रसार कार्यकर्ता का एक महत्वपूर्ण गुण है- मूल्यांकन की क्षमता। क्योंकि प्रसार कार्यक्रम की सफलता एवं असफलता को मूल्यांकन के द्वारा ही जाना जा सकता है। कार्यक्रम सफल हुआ या नहीं, अगर असफल हुआ तो कौन- कौन से कारक थे जिसके कारण लक्षित सफलता नहीं मिली। मूल्यांकन क्षमता के अभाव में कार्य की परख नहीं हो पाती और कार्यक्रम को वांछित सफलता नहीं मिल पाती।

 

19. लेखन क्षमता

प्रसार कार्यकर्ता में लेखन क्षमता का गुण होना भी बहुत आवश्यक है। क्योंकि उसे ग्रामीणों के उत्थान एवं विकास के लिए लघु कथा, लघु नाटक, प्रसार गीत, नारे आदि स्थानीय सरल भाषा में तैयार करना पड़ता है। प्रसार कार्यालय द्वारा कार्यक्रमों के लीफलेट, बुलेटिन, हस्तलिखित या साइक्लोस्टाइल किए हुए लघु समाचार पत्र तथा सूचना पत्र आदि का प्रकाशन एवं वितरण भी किया जाता है। जिसे स्थानीय भाषा में ग्रामीणों के ज्ञान, स्तर आदि को ध्यान में रखते हुए उसमें आवश्यक संशोधन भी किए जाते हैं जिसे प्रसार कार्यकर्ता द्वारा किया जाता है। और यह तभी संभव है जब प्रसार कार्यकर्ता में अद्भुत लेखन क्षमता हो।

 

20. शिक्षण साधनों (दृश्य-श्रव्य) की जानकारी

प्रसार कार्यक्रमों के अंतर्गत दृश्य-श्रव्य शिक्षण साधनों जैसे- प्रोजेक्टर, ग्रामोफोन, टेलीविजन, कैमरा, वीडियो कैसेट रिकॉर्डर, टेप रिकॉर्डर आदि का प्रयोग किया जाता है। प्रसार कार्यकर्ता को इन शिक्षण साधनों की पूर्ण जानकारी होनी चाहिए। उसे पता होना चाहिए कि कौन सी शिक्षण सामग्री किसके लिए उपयुक्त है। शिक्षण सामग्रियों के फायदे और उनकी सीमाएं क्या है तथा उनकी उपयोगिता कितनी है। तभी वह इनका उपयोग करके इन जनसंचार माध्यमों द्वारा लोगों को लाभ दिला पाएगा।

 

21. ग्रामीणों तथा विशेषज्ञों की सेवाएं उपलब्ध करवाना

प्रसार कार्य का क्षेत्र अत्यंत विस्तृत है। इसलिए प्रसार कार्यकर्ता से सभी क्षेत्र में दक्षता की अपेक्षा नहीं की जा सकती। ऐसे बहुत से क्षेत्र हैं जिसमें विषय विशेषज्ञों की सलाह एवं परामर्श की आवश्यकता होती है। वैज्ञानिक तरीके से खेती करना, लघु उद्योगों में तकनीकी परामर्श, पशुपालन, गो पालन, स्वास्थ्य रक्षा, टीकाकरण, आदि ऐसे बहुत से क्षेत्र हैं जिसमें विषय विशेषज्ञों के सेवाओं की आवश्यकता पड़ती है। प्रसार कार्यकर्ता को बिना किसी झिझक के इनकी सेवाएं ग्रामीणों तक पहुंचानी चाहिए। जिससे प्रसार कार्यक्रमों को आगे ले जाने में सफलता मिल सके।

 

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ऐसे ही अनेक गुण है जो कि एक प्रसार कार्यकर्ता में होने अत्यंत आवश्यक है जैसे –

• ग्रामीण संस्कृतियों, रीति-रिवाजों तथा लोक परंपराओं के प्रति आदर की भावना।

• निष्पक्षता का गुण।

• कार्यक्रम का नियोजन एवं प्रबंधन की क्षमता।

• अपने कार्य के प्रति समर्पण का भाव।

• निर्णय लेने में निपुण।

• सहानुभूति पूर्ण आचरण।

• संसाधन पूर्ण।

उपरोक्त सभी गुण एक प्रसार कार्यकर्ता में होने चाहिए। जिससे वह वांछित सफलता प्राप्त कर सकता है।

 

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