गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा की विधियां | Methods of Home Science Extension Education

 

प्रिय पाठकों,

गृह विज्ञान प्रसार कार्य विभिन्न संपर्क विधियों द्वारा किया जाता है। इस लेख में हम गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा की विभिन्न विधियों के बारे में जानेंगे। तो आइए शुरू करते हैं।

गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा की विधियां | Methods of Home Science Extension Education

गृह विज्ञान का प्रसार कार्य विभिन्न संपर्क विधियों द्वारा किया जा सकता है

जैसे –

  • व्यक्तिगत संपर्क विधियां
  • पारिवारिक स्तर पर संपर्क विधियां
  • सामूहिक संपर्क विधियां
  • जनसंपर्क या जनसंचार विधियां

ग्रामीण महिलाओं से संपर्क के द्वारा ही गृह विज्ञान प्रसार कार्यकर्ता उनके सामाजिक, सांस्कृतिक, परिपेक्ष्य , परंपराओं, धार्मिक रीति-रिवाजों, पसंद-नापसंद, अभिरुचियों, बौद्धिक स्तर एवं शैक्षणिक स्तर तथा उनकी तात्कालिक आवश्यकताओं के बारे में जानकारी प्राप्त करता है।

यह जानकारियां ग्रामीण महिलाओं से संपर्क द्वारा ही संभव है। सभी महिलाएं प्रसार कार्य में भाग लेकर नई बातें सीख कर अपने जीवन में सुधार ला सकेंगी।

 

गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा की विधियां इस प्रकार हैं –

1. व्यक्तिगत संपर्क विधियां (Personal Contact)

प्रसार कार्य के लिए जब प्रसार कार्यकर्ता व्यक्तिगत रूप से किसी व्यक्ति से मिलता है या उससे टेलीफोन पर बातें करता है, पत्र लिखकर समझाता है तो उसे व्यक्तिगत संपर्क कहते हैं।

गृह विज्ञान प्रसार कार्य का आरंभ व्यक्तिगत संपर्क द्वारा ही किया जाना चाहिए। किसी क्षेत्र विशेष में गृह विज्ञान प्रसार कार्य शुरू करने से पूर्व वहां के मुखिया नेता, सरपंच तथा प्रमुख महिलाओं से व्यक्तिगत संपर्क करके अपने कार्यक्रमों की जानकारी देना आवश्यक है। उनके साथ घर-घर जाकर अन्य महिलाओं से मिलना चाहिए एवं अपने कार्यक्रम के बारे में जानकारी देना चाहिए।

शुरू में उन्हें कोई सलाह ना देकर उनके प्रति दिन के कार्यों में मदद करनी चाहिए, उसके बाद उनके उत्सुक होने पर ही अपने सुझाव देने चाहिए। जब महिलाएं स्वेच्छा से कार्यक्रम में भाग लेंगी तभी प्रसार कार्य सफल होगा।

 

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2. पारिवारिक स्तर पर संपर्क विधियां (Family Contact)

पारिवारिक स्तर पर संपर्क द्वारा ही ग्रामीण महिलाओं का रहन-सहन, उनकी समस्याएं एवं उनकी वास्तविक स्थिति का पता चलता है। किसी परिवार में जब प्रसार कार्यकर्ता घुल-मिल जाते है तब उस परिवार के लोग अपनी समस्याएं धीरे-धीरे कार्यकर्ता के सामने रखने लगते हैं।

प्रसार कार्यकर्ता अपने कौशल व अनुभवों के अनुसार उनकी समस्याओं के निराकरण के लिए अपने सुझाव देते हैं। पारिवारिक स्तर पर स्वास्थ्य, रोगों से बचाव, बच्चों की देखरेख, कृषि, सांस्कृतिक क्रियाकलाप एवं पर्यावरणीय स्वच्छता संबंधी कार्यक्रम बनाकर उन्हें कार्यान्वित किया जा सकता है। परिवार के सभी सदस्य इन कार्यक्रमों में अपना सहयोग प्रदान करते हैं और लाभान्वित भी होते हैं।

 

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3. सामूहिक संपर्क विधियां (Group Contact)

दो या दो से अधिक व्यक्तियों से जब संपर्क किया जाता है तो उसे सामूहिक या समूह संपर्क विधियां कहते हैं। सामान्यतः समूह में 2 से 30 लोग तक उपस्थिति रहते हैं। ग्रामीणों की समस्याओं के निवारण जैसे – सड़कों का निर्माण, पीने का पानी, नालियों की उचित व्यवस्था, प्राथमिक विद्यालय, सहकारी स्टोर्स, आदि खोलने जैसे कार्यक्रम शुरू किए जा सकते हैं। इसके लिए प्रसार कार्यकर्ता को गांव के सरपंच, महिला मंडल पंचायत आदि की सहायता लेनी चाहिए। समूह में सभी जाति, वर्ग, संप्रदाय, धर्म तथा समुदाय के लोग सम्मिलित होते हैं।

इसमें लोगों की आयु, शैक्षणिक स्तर, उनकी समस्याएं लगभग एक समान होती है। सभी को विचार-विमर्श करने का, सीखने का, पूछने का अवसर दिया जाता है। सभी प्रकार के प्रशिक्षण, विधि प्रदर्शन, परिणाम प्रदर्शन, गोष्ठियों (Meetings), सेमिनार, वार्ताएं आदि समूह संपर्क विधि के अंतर्गत ही आते हैं। इसमें ग्रामीण अपनी समस्याएं विषय विशेषज्ञों के सामने रखते हैं तथा उनसे समाधान प्राप्त करते हैं। आपस में बातचीत के द्वारा भी बहुत सी समस्याओं का समाधान हो जाता है।

 

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4. विराट जन संपर्क या जन संचार विधियां (Mass Contact)

जब कम समय में एक साथ अधिक से अधिक लोगों के साथ संपर्क स्थापित किया जाता है तब उसे विराट जन संपर्क या जन संचार (Mass Contact) कहते हैं।
प्रायः यह एक अभियान के रूप में बहुआयामी विकास एवं मानवीय व्यवहार जैसे – व्यक्ति की कार्य कुशलता, ज्ञान, उसके दृष्टिकोण आदि में वांछित परिवर्तन लाने के लिए किया जाता है।

प्रसार कार्यकर्ताओं की टीम इस कार्य को प्रखंड विकास सलाहकार समिति के साथ मिलकर करती है। यह सभी मिलकर लोगों की विचारधारा एवं मानसिकता में परिवर्तन लाने का प्रयास करते हैं।

जन संपर्क के लिए सिनेमा, टेलीविजन, रेडियो, टेपरिकॉर्डर, छपी हुई सामग्री, प्रदर्शनी, भाषण, गीत, स्लाइड्स आदि का प्रयोग किया जाता है। विराट जन संपर्क में श्रव्य (Audio) तथा श्रव्य-दृश्य सामग्रियों (Audio-Visual Aids) अधिक सहायक सिद्ध होते हैं।
इस विधि से रोगों से बचाव, पर्यावरण स्वच्छता, कृषि विधियां, दहेज प्रथा की बुराइयां, परिवार नियोजन जैसे महत्वपूर्ण विषयों की जानकारी कम समय में लोगों को दी जा सकती है।

यह कम समय लेने वाली, सस्ती और सरल विधि है, लेकिन यह एक तरफा माध्यम है, इसमें लोगों को संदेश दिया जा सकता है किंतु उनके विचार एवं समस्याओं को नहीं जाना जा सकता है।

 

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