गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा अर्थ, परिभाषा

गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा अर्थ, परिभाषा

Dear Friends, इस लेख में हम गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा की उत्पत्ति एवं आवश्यकता, गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा का अर्थ एवं गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा की परिभाषा के बारे में जानेंगे तो आइये शुरू करते हैं।

 

गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा की उत्पत्ति एवं आवश्यकता

राष्ट्र के उत्थान में महिलाओं की भागीदारी तथा सहयोग की महत्वपूर्ण भूमिका है। स्त्रियाँ समृद्ध परिवार तथा राष्ट्र के निर्माण में सहायक सिद्ध होती हैं। अगर महिलाओं को अशिक्षित छोड़ दिया जाए, उन्हें संस्कारित नहीं किया जाए तो तो स्वस्थ एवं समृद्ध घर, परिवार, समाज तथा राष्ट्र की कल्पना कर पाना भी बेमानी होगी। स्वस्थ समाज तथा संपन्न राष्ट्र के लिए स्त्रियों को शिक्षित करना आवश्यक ही नहीं अनिवार्य भी है।

आजादी के बाद 1952 में सामुदायिक विकास कार्यक्रम हेतु योजनाएं बनाई व चलाई गई। उसके बाद से ही गृह विज्ञान विषय को कई विश्वविद्यालयों तथा कृषि विश्वविद्यालयों से सम्बद्ध किया गया।  इसके पश्चात इस विषय को प्रसार शिक्षा से जोड़ा गया, जिससे जो महिलाएं किन्ही कारणों से औपचारिक शिक्षा से वंचित रह गईं, वे भी प्रसार शिक्षा के माध्यम से शिक्षित हो जाएँ। नवीन तकनीकों को अपनाकर, नवीन उपकरणों का उपयोग एवं रख-रखाव करना एवं उनकी मरम्मत करना सीख जाएँ।

गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा, कृषि प्रसार शिक्षा की ही तरह स्कूल, कॉलेजों से बाहर दी जाने वाली शिक्षा है जिसका उद्देश्य लोगों को अपने ही प्रयासों से उपलब्ध संसाधनों का प्रयोग करके, अपनी समस्याओं का समाधान करना, नवीन विचारों, तथ्यों को स्वीकारना, नई तकनीकों एवं उपकरणों को अपनाकर अपने रहन-सहन के स्तर को ऊँचा उठाना है।

 

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गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा हर उम्र के लोगों को, स्त्री-पुरषों को दी जाती है। उन्हें व्यावसायिक (रोजगारपरक) प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है। अशिक्षित प्रौढों को पढ़ना-लिखना सिखाया जाता है। गृहिणी को घर-परिवार से संबंधित बातों की जानकारी दी जाती है।

गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा का अर्थ

प्रसार (Extension) का शाब्दिक अर्थ है फैलाना। किसी वस्तु या विचार को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुँचाना ही उस वस्तु या विचार का प्रसार कहलाता है।
‘Extension’ शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम ई. बी. वोरहेज E. B. Vorhoes ने सन 1894 ई. में किया था।

इस प्रकार हम कह सकते हैं- गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा का अर्थ होता है गृह विज्ञान के ज्ञान को अधिक से अधिक व्यक्तियों या गृहिणियों तक फैलाना। गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा में प्रौढ़ शिक्षा और अनौपचारिक शिक्षा भी सम्मिलित है। विभिन्न क्षेत्रों में की गई प्रसार शिक्षा को उस विषय से संबंधित प्रसार शिक्षा कहा जाता है, जैसे- अगर हम कृषि से सम्बंधित ज्ञान का प्रसार करते है तो उसे कृषि प्रसार शिक्षा (Agricultural Extension Education) कहते हैं।

उसी तरह अगर हम विभिन्न व्यक्तियों, गृहिणियों यहां महिलाओं में भोजन, बच्चों के पालन पोषण, गृह सज्जा और रसोई उद्यान के बारे में तकनीकी ज्ञान का प्रसार करते हैं। तो उसे गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा कहा जाता है।

 

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गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा की परिभाषाएं

1. ‘डे’ (1987) के अनुसार – “गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा ग्रामीणों तक गृह विज्ञान से संबंधित बातों की जानकारी पहुँचाने का एक तरीका है जिसके माध्यम से वैज्ञानिकी एवं तकनीकी बातें उन तक पहुँचाई जाती है, जिन्हें कार्यकलापों को ठीक ढंग से संपन्न करने, उत्पादन बढ़ाने तथा उत्तरोत्तर विकास करने की आवश्यकता होती है।”

2. चंद्रा (1987) के अनुसार – ” यह सामाजिक विज्ञान का ही एक आयाम है जो वैज्ञानिक तथा तकनीकी ज्ञान के माध्यम से घर परिवार के क्रियात्मक एवं अभिवृत्ति में परिवर्तन लाता है।”

 

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महत्वपूर्ण बिंदु (Important Points)

  • गृह विज्ञान विषय को कई विश्वविद्यालयों तथा कृषि विश्वविद्यालयों से संबद्ध करने के पश्चात इस विषय को प्रसार शिक्षा से जोड़ा गया।
  •  गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा कृषि प्रसार शिक्षा की ही तरह स्कूल-कॉलेजों से बाहर दी जाने वाली शिक्षा है।
  • गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा हर उम्र के लोगों को, स्त्री पुरुषों को दी जाती है।
  • ‘Extension’ शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम ई०वी० वोरहेज E. B. Vorhoes ने सन् 1894 ई० में किया था।
  • गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा का अर्थ है गृह विज्ञान के ज्ञान को अधिक से अधिक व्यक्तियों या गृहिणियों तक फैलाना/पहुँचाना।
  • गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा में प्रौढ़ शिक्षा और अनौपचारिक शिक्षा भी सम्मिलित है।
  • विभिन्न क्षेत्रों में की गई प्रसार शिक्षा को उस विषय से संबंधित प्रसार शिक्षा कहा जाता है।

 

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