वस्त्र विज्ञान का अर्थ | परिभाषा | महत्व | उपयोग

वस्त्र विज्ञान का अर्थ | परिभाषा | महत्व | उपयोग

प्रिय पाठकों,

मनुष्य की तीन मूलभूत आवश्यकताओं में वस्त्र को भी सम्मिलित किया गया है।वस्त्र हमारे जीवन के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं और वस्त्र के बिना हम जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते हैं। प्रस्तुत लेख में हम वस्त्र विज्ञान का अर्थ, वस्त्र विज्ञान की परिभाषा, वस्त्र विज्ञान के ज्ञान का महत्व एवं वस्त्रों का दैनिक जीवन में क्या उपयोग है की विस्तार से चर्चा करेंगे। तो आईये शुरू करते है। 

प्रश्न – वस्त्र तंतु विज्ञान का अर्थ एवं परिभाषा लिखिए।

या

वस्त्र विज्ञान का अर्थ एवं परिभाषा लिखिए।

उत्तर – वस्त्र विज्ञान एक व्यापक विज्ञान है। वस्त्र तंतु विज्ञान हमारे दैनिक जीवन से संबंधित एक अति महत्वपूर्ण विषय है जिसका ज्ञान प्रत्येक व्यक्ति के लिए आवश्यक है। भोजन, मकान एवं वस्त्र प्रत्येक व्यक्ति की आधारभूत आवश्यकता है। संपूर्ण परिधान वस्तु तंतु द्वारा ही तैयार होते हैं। वस्त्र विज्ञान का अध्ययन वस्त्रों तथा उन सामग्रियों से संबद्ध है जिससे वे बनते हैं।

वस्त्र विज्ञान का अर्थ | Meaning of Textile | टेक्सटाइल का अर्थ

टेक्सटाईल का हिंदी अर्थ है – वस्त्र या कपड़ा।

लैटिन भाषा के शब्द (Textiles) टेक्स टाईलीज से टेक्सटाइल शब्द की उत्पत्ति हुई है। इस शब्द का प्रयोग रेशों या तंतुओं से बुने हुए वस्त्रों के लिए किया जाता है। बुने हुए वस्त्र को अंग्रेजी शब्दकोष में टेक्सटाईल कहा जाता है। साधारण रूप से तंतुओं एवं तंतुओं से बने वस्त्रों के लिए टेक्सटाईल शब्द का प्रयोग किया जाता है। अतः वस्त्रों का निर्माण हाथों के द्वारा हो या मशीनों के द्वारा उसे टेक्सटाईल का नाम ही दिया जाता है। इसमें घरेलू उपयोग के वस्त्रों, तथा सभी पहनने वाले वस्त्रों को सम्मिलित किया जाता है जिसको बनाने में तंतुओं के गुण उपस्थित रहते हैं। इस प्रकार हम कह सकते हैं – “वस्त्र विज्ञान वह विज्ञान है जो हमें वस्त्र निर्माण के लिए उपयोगी रेशों से पहनने योग्य या अन्य उपयोगी वस्त्रों का निर्माण सिखाता है।”

वस्त्र तन्तु विज्ञान का अर्थ है – “तन्तु से धागे और धागे से वस्त्र बनाने की प्रक्रिया”

टेक्सटाईल की परिभाषा | वस्त्र विज्ञान की परिभाषा

“वस्त्र विज्ञान वह विज्ञान है जिसमें वस्त्र बनाने वाले प्राकृतिक एवं कृत्रिम तंतुओं का, वस्त्र निर्माण की सभी विधियों का, वस्त्र की परिष्कृति तथा परिसज्जा का, वस्त्रों की देखभाल एवं संग्रह तथा धुलाई के उचित तरीकों का व्यवस्थित एवं वैज्ञानिक अध्ययन किया जाता है।”

चैम्बर्स डिक्शनरी (Chamber’s Dictionary) के अनुसार – वस्त्र विज्ञान (Textiles) का अर्थ है – Woven: Capable of being woven – a Woven Fabric.”

अर्थात्‌ बुना हुआ कपड़ा या वस्त्र।

इस परिभाषा को इस प्रकार समझ सकते हैं –

तन्तु → सूत्र (धागा) → वस्त्र → पहनने योग्य वस्त्र

(Fibers) → (yarn) → (Fabric) → (Textile).

कहने का तात्पर्य यह है कि – सबसे पहले तंतुओं को मिलाकर बटा जाता है फिर उनका सूत तैयार किया जाता है और फिर सूत को बुनकर कपड़ा बनाया जाता है जो पहनने या अन्य उपयोगों में काम आता है।

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प्रश्न – वस्त्र तन्तु विज्ञान का महत्व समझाइये।

या

वस्त्र विज्ञान के ज्ञान का महत्व समझाइये।

 उत्तर – वस्त्र विज्ञान का महत्व:

‘मानव का वस्त्रों से अटूट संबंध है।’

हौलेन, सेडलर एवं लेंगफोर्ड (Hollen, Saddler and Langford) के अनुसार,” प्रत्येक व्यक्ति जन्म से मृत्यु तक वस्त्र तंतु से घिरा रहता है। हम वस्त्र तंतु के उत्पाद पर चलते हैं और पहनते हैं, हम वस्त्र आच्छादित कुर्सी और सोफा पर बैठते हैं, हम वस्त्र के ऊपर और नीचे सोते हैं, वस्त्र तंतु हमें सुखाते हैं या हमें शुष्क रखते हैं, वह हमें गर्म रखते हैं, और हमें सूर्य, अग्नि और संक्रमण से सुरक्षा प्रदान करते हैं।

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इस कथन से स्पष्ट है कि वस्त्र हमारे जीवन के लिए कितने महत्वपूर्ण हैं और वस्त्र के बिना हम जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते।

वस्त्र विज्ञान का अध्ययन वस्त्रों तथा उन सामग्रियों से संबद्ध है जिससे वे बनते हैं। प्रत्येक व्यक्ति जागते हुए, सोते हुए, काम करते हुए, बैठे हुए, खेलते हुए, रोग की अवस्था में या स्वस्थ स्थिति में, अमीर हो या गरीब, हर समय वस्त्रों का प्रयोग करता है। अतः हम सभी को वस्त्र विज्ञान का ज्ञान होना आवश्यक एवं महत्वपूर्ण है।

वस्त्र विज्ञान का महत्व –

  • वस्त्रों के सांस्कृतिक, आर्थिक एवं सामाजिक महत्व को समझने का ज्ञान एवं क्षमता प्राप्त होती है।
  • वस्त्रोपयोगी रेशों तथा वस्तुओं की अंतर्निहित विशेषताओं का ज्ञान प्राप्त होता है।
  • वस्त्रों को आकर्षक व सुंदर बनाने के लिए की जाने वाली परिसज्जाओं एवं परिष्कृतियों का ज्ञान प्राप्त होता है।
  • वस्त्रों के उचित देखरेख तथा संरक्षण की विधि ज्ञात होती है।
  • प्रयोजन के अनुरूप उचित, मजबूत तथा उपयुक्त परिधान तथा गृह उपयोगी वस्त्रों का विवेकपूर्ण चुनाव करना आता है।
  • वस्तुओं के मूल्यों को प्रभावित करने वाले कारकों या तत्वों का ज्ञान प्राप्त होता है।
  • विज्ञापन देने, लेबल के निर्देशों को समझने, मिलावट या मिश्रण करने, टैक्स लगाने आदि से संबंधित नियम एवं विधियों के महत्व की जानकारी प्राप्त होती है।
  • वस्त्र संबंधी समस्याओं का वैज्ञानिक विधि द्वारा समुचित समाधान करना आता है।
  • विभिन्न प्रकार की शरीर – रचनाओं के लिए पहनावे की रचना, रंग, नमूने, आकार आदि के अनुसार सज्जा के उचित उपयोग करने की विधि का ज्ञान प्राप्त होता है।
  • वस्त्रों के दाग, धब्बे हटाने एवं धुलाई से संबंधी ज्ञान प्राप्त होता है।

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प्रश्न – वस्त्रों का दैनिक जीवन में क्या उपयोग है?

उत्तर – वस्त्रों का दैनिक जीवन में उपयोग: वस्त्र हमारे दैनिक जीवन के कार्यों में अत्यंत उपयोगी है। जैसे – शरीर की रक्षा करना, घर को सजाना, संवारना आदि।

प्रत्येक व्यक्ति अपने दैनिक जीवन एवं घरेलू कार्यों में विभिन्न प्रकार के वस्त्रों की आवश्यकता महसूस करता है। वस्त्रों का दैनिक जीवन में उपयोग निम्नलिखित है –

  • वस्त्र शरीर की सुरक्षा और तन ढंकने के लिए प्रयोग किया जाता है।
  • नहाने, पहनने व रात को सोने के लिए अलग-अलग वस्त्रों का उपयोग होता है।
  • शरीर को पोछने के लिए तौलिए का उपयोग किया जाता है।
  • घर की सजावट व सज्जा के लिए पर्दे, ड्रेपरी, सोफे, कुशन व कालीन के लिए भी वस्त्रों की आवश्यकता होती है।
  • कुशन, पर्दे, सोफे आदि के कपड़ों व कवर्स से घर व ड्राइंग रूम की सज्जा व कलात्मकता में वृद्धि होती है तथा यह वस्तुएं सुरक्षित व अधिक समय तक उपयोगिता प्रदान करती है।
  • रसोईघर, ड्राइंग रूम, स्नानागार (बाथरूम), शयन कक्ष आदि कमरों में भी विभिन्न प्रकार के वस्त्र प्रयुक्त किए जाते हैं।

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