गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा के उद्देश्य | Objectives of Home Science Extension Education

 

प्रिय पाठकों,
कोई भी कार्य तब सफल होता है जब वह पूरी लगन व उद्देश्यों को ध्यान में रखकर किया जाता है। गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा के भी कई उद्देश्य है। इस लेख में हम गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा के उद्देश्य की विस्तृत चर्चा करेंगे। तो आइए शुरू करते हैं।

गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा के उद्देश्य | Objectives of Home Science Extension Education

किसी कार्य में हमें तभी सफलता मिलती है, जब उस कार्य को पूरे लगन से उद्देश्यों को ध्यान में रखकर किया जाए। इसके लिए हमें पहले योजना बनानी पड़ती है उसके पश्चात उस योजना का क्रियान्वयन एवं मूल्यांकन करना पड़ता है। उसके बाद हमें पता लगता है कि हमें वांछित सफलता मिली है अथवा नहीं।

गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा के उद्देश्यों को जानने से पहले आइए हम जान लेते हैं कि ‘उद्देश्य’ क्या है?

“उद्देश्य वह कार्य है जिसे प्राप्त करने हेतु हम निरंतर प्रयत्नशील होते हैं।” उद्देश्य ही व्यक्ति के कार्यकलापों एवं प्रयासों को सही एवं उचित दिशा प्रदान करते हैं और मार्गदर्शन करते हैं। अगर उद्देश्य ही स्पष्ट नहीं होंगे तो व्यक्ति अपने मार्ग से भटक सकता है। परिणाम स्वरूप लक्ष्यों को प्राप्त नहीं कर सकेंगे।

इसलिए किसी भी कार्य में सफलता प्राप्त करने के लिए उद्देश्यों का स्पष्ट होना तथा उसे प्राप्त करने के लिए लगातार प्रयास करना अति आवश्यक है।

 

इसे भी पढ़े –

गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा के उद्देश्य

गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा का उद्देश्य ग्रामीण महिलाओं को इस योग्य बनाना है कि वह अपने घर परिवार की स्थिति में सुधार लायें जिससे पारिवारिक जीवन स्तर एवं रहन-सहन के स्तर को ऊंचा उठाया जा सके। जिससे वे सुख पूर्वक जीवन यापन कर सकें।

गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा के उद्देश्य निम्नलिखित हैं –

ग्रामीण महिलाओं/गृहिणियों के सर्वांगीण विकास में सहायता करना 

गृहिणियों के सर्वांगीण विकास में गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा सहायता करता है। जैसे –

  • अनपढ़ गृहिणियों को पढ़ना लिखना सिखाती है।
  • घरेलू कार्यों को वैज्ञानिक तरीके से करना सिखाती है।
  • आधुनिक उपकरणों जो समय शक्ति की बचत करते हैं उनका उपयोग एवं उनकी मरम्मत एवं देखभाल करना सिखाती है।
  • खाली समय में अर्थोपार्जन के तरीके भी सिखाती है जिससे उनका स्वयं का विकास हो। और वे आत्म निर्भर बन सके।
  • बच्चों के पालन-पोषण के वैज्ञानिक तरीके सिखाती है जिससे वे जिम्मेदार नागरिक बने।
  • गृहिणियों को सिलाई कढ़ाई करना, फल सब्जी को संरक्षित करना, बच्चों की धुलाई व इस्तरी करना, रख-रखाव करना, फटे कपड़ों की सिलाई करना, परिधान तैयार करना आदि भी सिखाती है।
  • गृहिणियों को कम समय और कम धन खर्च करके स्वादिष्ट, पौष्टिक व संतुष्टिदायक भोजन बनाना सिखाती है।
  • भोजन को उचित व आकर्षक ढंग से परोसना सिखाती है जिससे खाने वाले का जी ललचा उठे।
  • घर के खाली जमीन मे रसोई वाटिका लगाना सिखाया जाता है।
  • गृहिणियों को मधुमक्खी पालन, मुर्गी पालन, पशुपालन, रेशम उत्पादन, आदि करके धनोपार्जन के विविध तरीके भी सिखाए जाते हैं।
  • घर में ही छोटे उद्योगों को शुरु करने में उनकी मदद की जाती है।
  • गृहिणियों को साबुन, शैम्पू, मोमबत्ती, बड़ी, पापड़, मंगोड़ी, आदि बनाना सिखाया जाता है जिससे वे अपने खाली समय का सदुपयोग कर अपनी पारिवारिक स्थिति एवं रहन-सहन को ऊंचा उठा सकती है।

 

इसे भी पढ़े

ग्रामीण महिलाओं/गृहिणियों को उपलब्ध संसाधनों का उपयोग करना सिखाना

गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा द्वारा गृहिणियों को उनके पास उपलब्ध संसाधनों के बारे में बताया जाता है, उनकी पहचान करना सिखाया जाता है। जब वे अपने आसपास उपलब्ध प्राकृतिक संसाधनों के बारे में जानेंगी, उनका उपयोग करना सीख जाएंगी तो निश्चित ही धनोपार्जन करेंगी।

उदाहरण के लिए –

  • यदि खाली पड़ी जमीनों में रसोई उद्यान लगाने की शिक्षा दी जाए तो वह उसका प्रयोग करके घर में ही ताजी सब्जियां उगा लेंगी।
  • रसोई उद्यान लगाने से प्रत्यक्ष-परोक्ष रूप से धन की बचत होती है।
  • साधारण चूल्हे की बजाए धुआं रहित चूल्हे या गैस चूल्हा के प्रयोग के बारे में जानकारी देना जिससे गृहिणियों को साँस से संबंधित बीमारी नहीं होगी।
  • तसला/भगोना की बजाए प्रेशर कुकर का प्रयोग करना सिखाया जाए जिससे समय-शक्ति के साथ-साथ ईंधन की भी बचत होगी।
  • जिन गांवों में बिजली की सुविधा है वहां विद्युत से चलाए जाने वाले उपकरणों का उपयोग कर सकते हैं।
  • हाथ से सिलाई ना करके मशीन से सिलाई करना, मिक्सी में मसाला पीसना, वाशिंग मशीन से वस्त्रों को धोना आदि कार्यों से गृहिणी को थकान कम होती है तथा काफी समय की बचत हो जाती है।
  • बचे हुए समय का उपयोग वह अन्य कार्यों को करने मे लगा सकती है।
  • इस प्रकार वह समय-शक्ति एवं धन की बचत कर के परिवार को सुखी संपन्न बनाने में सहयोग करती है।

 

इसे भी पढ़े –

स्वैच्छिक संस्थाओं तथा स्वैच्छिक संगठनों को मजबूती प्रदान करने में 

ग्रामीणों के विकास एवं उत्थान और महिलाओं के सर्वांगीण विकास के लिए जो सरकारी संस्थाएं व स्वैच्छिक संगठन कार्य कर रही है उनके साथ मिलकर गृह विज्ञान प्रसार कार्यकत्री को काम करना चाहिए जिससे सरकारी संस्थाओं एवं ग्रामीणों के बीच की दूरी को आसानी से मिटाया जा सके।

ग्रामीणों के उत्थान के लिए बहुत ही लाभकारी योजनाएं बनायी व चलाई जाती हैं। परंतु जिसका लाभ ग्रामीणों तक नहीं पहुंच पाता। गृह विज्ञान प्रसार कार्यकत्री को उन संस्थाओं एवं संगठनों से संपर्क स्थापित करके उनके द्वारा चलाए जा रहे प्रोजेक्ट में भाग ले सकती हैं।वे उन प्रोजेक्टों में काम कर सकती हैं तथा ग्रामीणों को उसकी जानकारी दे सकती हैं और उन्हें प्रेरित कर सकती हैं।

इससे गृह विज्ञानियों, सरकारी संस्थाओं एवं स्वैच्छिक संगठनों को लाभ मिलेगा। और सर्वाधिक महत्वपूर्ण हैं ‘ग्रामीण लोग’ उन्हें योजनाओं का लाभ मिल जाएगा।

 

…………………………*********…………………………

अगर आपको यह लेख पसंद आया हो तो इसे लाइक (like) करें और अपने दोस्तों को भी शेयर (share) करें ताकि उन्हें भी इस विषय से जुड़ी जानकारी मिल सके और आगे भी इसी प्रकार की जानकारी के लिए आप मेरी वेबसाइट www.binitamaurya.com को विजिट करें।  धन्यवाद !!!

Leave a Comment